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*एसएसपी रांची कौशल किशोर से जेजेए के एक प्रतिनिधीमंडल ने की मुलाकात जानते हैं संस्थापक अध्यक्ष के जुबान जेजेए की कहानी*

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*एसएसपी रांची कौशल किशोर से जेजेए के एक प्रतिनिधीमंडल ने की मुलाकात जानते हैं संस्थापक अध्यक्ष के जुबान जेजेए की कहानी*

 

 

तकरीबन 10 वर्ष पहले मैंने 4 पत्रकार साथियों के साथ JJA की स्थापना की थी। संगठन की स्थापना को लेकर सोच यही थी कि एक ऐसा आज़ाद संगठन बने, जिस पर प्रबंधन और सरकार के किसी दबाव का कोई असर न हो, एक ऐसा संगठन, जहां पत्रकारों को उसके पद (संपादक एवं ब्यूरो) होने के कारण महत्व नहीं दिया जाये। मैं अपनी जन्मभूमि जमशेदपुर से झारखण्ड की राजधानी रांची वर्ष 2014-15 में शिफ़्ट होने के बाद रांची के पत्रकार साथियों से लगातार चर्चा करता रहा। लगातार हम संगठन को मज़बूत करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से पत्रकार साथियों से जुड़ते चले गये। जिस संगठन की स्थापना 4 पत्रकार साथियों ने मिल कर की थी, वह रांची पहुंच कर 40 हो चुकी थी।

 

रांची के बाद सबसे पहले संगठन से जुड़नेवालों में लातेहार बालूमाथ से दिवंगत पत्रकार सचिदानंद जायसवाल और हज़ारीबाग से रविंद्र कुमार थे।

 

दिवंगत पत्रकार सचिदानंद जायसवाल जी ने झारखण्ड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट(JUJ) को छोड़कर झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन(JJA) को लातेहार जिला में स्थापित करने के लिए संगठन से सभी प्रखंडों के पत्रकार साथियों को जोड़ने की पहल की।लातेहार जिला से 150 से अधिक पत्रकार साथियों ने JUJ को छोड़ कर JJA संगठन की सदस्य्ता ग्रहण की। वहीं, हजारीबाग के प्रखंड के साथियों को जोड़ने की मुहिम की शुरुआत पत्रकार साथी रविंद्र कुमार के जुड़ने के बाद शुरू हुई।

 

पत्रकार साथी झारखण्ड के समस्त 24 जिलों में संगठन से जुड़ते चले गये और कारवां बनता चला गया। संगठन ने अपना ऐतिहासिक प्रथम महाधिवेशन 26 जनवरी 2015 को झारखण्ड विधानसभा में किया एवं सरकार के समक्ष मज़बूती से 5 सूत्री मांगें रखीथ। संगठन के कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधान सचिव श्री संजय कुमार एवं पुलिस उप महानिदेशक श्री अनुराग गुप्ताशामिल हुए।

 

कार्यक्रम के दिन नक्सली बंदी होने के बावजूद कार्यक्रम की ऐतिहासिक सफ़लता ने वर्षों से झारखण्ड में संगठन चला रहे पत्रकारों की नींद उड़ा दी।

 

पत्रकार हितों की रक्षा के लिए सतत प्रयत्नशील रहनेवाले संगठन JJA की बढ़ती लोकप्रियता से बौखला कर दुष्प्रचार करने में जुट गये, क्योंकि उनकी दुकानदारी पर ताला लगना शुरू हो गया था और कई जिलों में उनके साथ चलनेवाले पत्रकार साथी उनके रवैये से खिन्न होकर JJA की सदस्य्ता बड़ी संख्या में ग्रहण कर रहे थे।

 

मैं उन पत्रकार साथियों का आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जिन्होंने संगठन के विरुद्ध लगातार दुष्प्रचार किया, क्योंकि उनके दुष्प्रचार के कारण *मई दिवस* के अवसर पर 1 मई 2016 के कार्यक्रम में समस्त झारखण्ड से पत्रकार मित्रों का अपार समर्थन मिला और झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन का प्रथम प्रदेश अध्यक्ष मुझे सर्वसम्मति से बनाया गया।

 

4 से हम 40 और 40 से 400 हुए, लगातार बढ़ते कारवां के साथ आज 2200 पत्रकार साथियों के साथ पूर्वी भारत का सबसे बड़ा पत्रकार संगठन होने का गौरव JJA हासिल कर चुका है।

 

 

 

संगठन पत्रकारों के लिए 24X7 हर छोटी-बड़ी समस्या में एक परिवार की तरह मज़बूती से खड़ा रहा। वहीं, कुछ पत्रकार साथियों को संगठन के नियमों पर चलने में समस्या हो रही थी। गिरिडीह जिला में स्थानीय कमिटी अपनी मनमानी चलाने पर उतारू थी। लगभग 69 पत्रकार साथियों को नियमों की अवहेलना के कारण संगठन से निष्कासित किया गया। हालांकि, इस निर्णय से सबसे अधिक पीड़ा मुझे ही हो रही थी। बहुत मुश्किल से एक-एक तिनके को सहेज कर इस संगठन को हमने खड़ा किया था।जिस दिन पत्रकार हत्या (दिवंगत पत्रकार इंद्रदेव यादव) हुई उसी दिन गिरिडीह के पत्रकार साथी वनभोज कार्यक्रम मनाने पर अड़ हुए थे।पत्रकारों पर कार्रवाई ज़रूरी थी, क्योंकि JJA का उद्देश्य भीड़ जमा करना नहीं रहा है। संगठन के इस निर्णय का सभी समर्पित पत्रकार साथियों ने स्वागत किया।

 

देश में पत्रकार संगठन को आगे बढ़ाने की अपनी किस्म की एक नायब शुरुआत थी JJA का गठन, अगर यह कहा जाये, तो ग़लत नहीं होगा। शायद इसलिए सोशल मीडिया पर संगठन को भरपूर समर्थन मिला और प्रतिदिन संगठन से पत्रकार साथी जुड़ते चले गये।

 

कामयाबी मिली, तो संगठन ने कुछ उतार-चढ़ाव भी देखे। कुछ विचारों के मतभेद रहे। आखिरकार, कुछ साथी बिछड़े और कुछ नये शामिल हुए। लेकिन, संगठन आगे बढ़ता गया। उसने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

 

वर्ष 2016 में JJA की शोहरत का आलम यह था कि संगठन से हर महीने 100 से अधिक पत्रकार साथी जुड़ने लगे। झारखण्ड के 2-3 जिले ऐसे थे, जहां से NUJI/JUJ की पूरी कमेटी का विलय JJA में हो गया। संगठन से पत्रकार साथियों के जुड़ने का एक मात्र कारण संगठन की कार्यशैली बनी। हर दुःख-सुख में पत्रकार साथियों के साथ संगठन के साथी मज़बूती से खड़े रहे।

 

 

 

संगठन आर्थिक संकट से जूझ रहा था। उसके बावजूद वर्ष 2016 में एक वर्ष में 9 सफ़ल कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि अब इस कारवां को रोक पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है, क्योंकि यहां *व्यक्ति नहीं, उद्देश्य* के साथ सभी पत्रकार साथी जुड़े हैं।

 

पिछले कुछ वर्षों में लगभग 40-50 से अधिक मामले संगठन के समक्ष आये और उन सभी मामलों में संगठन ने मज़बूती के साथ आवाज़ उठायी और उसे अंजाम तक पहुंचाया। पत्रकार हत्या के मामले में संगठन उच्चतम/उच्च न्यायालय में मुकदमा लड़ रहा है, ताकि दिवंगत पत्रकार को न्याय दिलाया जा सके।

 

संगठन का उद्देश्य एवं लक्ष्य पत्रकार हितों की रक्षा है। संगठन के नाम पर हम आपसी मतभेद को मन का भेद नहीं बनायें, यह बार-बार संगठन की ओर से आग्रह किया जाता है।

 

सभी जिलों में प्रेस क्लब के गठन को लेकर सरकार के समक्ष मज़बूती से आवाज़ उठायी, लेकिन इसका उद्देश्य इस बात का सेहरा अपने सर बांधना हरगिज़ नहीं रहा।यही कारण रहा कि JJA की प्रदेश कमेटी का कोई भी पदाधिकारी रांची प्रेस क्लब के चुनाव में कभी किसी पद के लिए दावेदार नहीं बना। वैसे भी किसी प्रेस क्लब एवं यूनियन का कार्यक्षेत्र बिलकुल अलग होता है। JJA के समर्थन से कई पत्रकार साथी प्रेस क्लब की कमेटी में आज स्थान बना पाये हैं।

 

पत्रकारों के आपसी मतभेद को हम में से कुछ पत्रकार साथी ओछी मानसिकता के साथ हर हथकंडा अपनाते हैं। उसे ब्रेकिंग न्यूज़ बनाया जाता है। पत्रकारों के विरुद्ध ही दुष्प्रचार किया जाता है, यह चिंतनीय एवं दुखद है।संगठन ने अब यह निर्णय लिया है कि ऐसा करनेवालों के विरुद्ध अब कठोर कार्रवाई की जायेगी, ताकि वे रात के नशे में धुत होकर किसी पत्रकार के विरुद्ध दुष्प्रचार करने का साहस दुबारा नहीं कर सकें।

 

संगठन कोई भी हो, जब वह अपने उद्देश्य एवं लक्ष्य से भटक जाता है, तो फिर वह दिशाहीन हो जाता है और कभी दिशाहीन होकर हम किसी लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते। संगठन का उद्देश्य पत्रकार हितों की रक्षा है। संगठन के नाम पर पत्रकारों के बीच नूरा कुश्ती नहीं।

 

संगठन से ऊपर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता, *हम हैं तो संगठन है, ऐसा सोचनेवाले अपनी राह चुन सकते हैं* संगठन नियम एवं अनुशासन की अनदेखी कर मात्र एक *भीड़* बन सकता है। संगठन में एक सामान्य सदस्य भी अपनी बात रख सकता है, लेकिन जब भाषा अमर्यादित हो जाती है, तो वह आप के संस्कार को बताती है। आज पत्रकारिता की गिरती साख़ एवं गरिमा को हमें ही बचाना है और इसके लिए हमें कई कठोर निर्णय भी लेने होते हैं, जिसका उद्देश्य संगठन एवं पत्रकार हित ही होता है।

 

#JJA भीड़ नहीं संगठन है, एक मज़बूत परिवार, जिसके साये में सभी पत्रकार महफूज़ हों ; चाहे वे किसी संगठन के सदस्य हों, इस उद्देश्य के साथ हम निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे। यह संकल्प हम सभी नवरात्रि के अवसर पर लें, इस आशा के साथ सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।

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