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हूल दिवस के अवसर पर महेशपुर विधानसभा क्षेत्र के माननीय विधायक सह बीस सूत्री के कार्यकारी अध्यक्ष

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*✍🏻प्रेस-विज्ञप्ति*
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*दुमका:* आज दिनांक 30 जून 2022 को हूल दिवस के अवसर पर महेशपुर विधानसभा क्षेत्र के माननीय विधायक सह बीस सूत्री के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. स्टीफन मरांडी, जामा विधानसभा क्षेत्र की माननीय विधायक सीता सोरेन, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव विजय कुमार सिंह, जिला सचिव शिव कुमार बास्की, रवि यादव सहित झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय पोखरा चौक स्थित संथाल हूल के महानायक सिदो-कान्हू मुर्मू एवं फूलो-झानो चौक, रिंग रोड स्थित वीरांगना फूलो-झानो मुर्मू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस मौके पर प्रो. स्टीफन मरांडी, सीता सोरेन एवं विजय कुमार सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और कहा कि आज हूल दिवस है। 30 जून 1855 को अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं फूलो-झानो ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संथाल विद्रोह/हूल क्रांति की अगुवाई की थी। सिदो मुर्मू और कान्हू मुर्मू सगे भाई थे जिन्होनें 1855 के संथाल विद्रोह का नेतृत्व किया था। संथाल विद्रोह ब्रिटिश शासन और भ्रष्ट जमींदारी प्रथा दोनों के विरुद्ध था। अंग्रेजी हुकूमत साहूकारों, महाजनों तथा जमींदारों के साथ मिलकर आदिवासियों को प्रताड़ित और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे। इन सब बातों ने सिदो-कान्हू के मन में साहूकारी-महाजनी-जमींदारी प्रथा औऱ अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ आक्रोश भर दिया। जिसका परिणाम आगे चलकर संथाल विद्रोह/हूल क्रांति के रूप में सामने आया। सिदो-कान्हू ने अंग्रेजों, महाजनों, साहूकारों और जमींदारों के खिलाफ विद्रोह करने का फैसला किया। साहिबगंज जिले के भोगनाडीह में हुए एक सभा में 10000 से भी ज्यादा लोग एकत्र हुए जिसमें सिदो को राजा, कान्हू को मंत्री, चाँद को प्रशासक एवं भैरव को सेनापति चुना गया। उसके बाद हजारों लोगों ने सिदो के नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता, साहुकारों, महाजनों व जमींदारो के खिलाफ हूल-हूल के नारा के साथ सशस्त्र युद्ध का शुरुआत किया। जिसे हूल, संथाल हूल, संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन, हूल क्रांति आदि नाम के नाम से जाना जाता है। इस दिन 400 गांवों के 50000 लोगों ने साहिबगंज के भोगनाडीह गांव पहुंचकर अंग्रेजों से आमने-सामने की जंग का एलान कर दिया। आदिवासी भाइयों सिदो-कान्‍हू और चांद-भैरव के नेतृत्‍व में तब आदिवासियों ने मालगुजारी नहीं देने का जोर-शोर से एलान किया। संथाल विद्रोह का नारा था करो या मरो अंग्रेजो हमारी माटी छोड़ो। मौके पर झामुमो के कार्यकर्ताओं ने वीर शहीद सिदो-कान्हू अमर रहें, चांद-भैरव अमर रहें, फूलो-झानो अमर रहें का नारा लगाया। इस अवसर पर झामुमो के केन्द्रीय समिति सदस्य अब्दुस सलाम अंसारी, अशोक कुमार, प्रखण्ड अध्यक्ष सिराजुद्दीन अंसारी, सचिव विजय मल्लाह, दिनेश मुर्मू, शिबू चक्रवर्ती, सुनीता सोरेन, सुमंत यादव, इंदू चौबे, पेंटल दा, कृष्णा देवी, साकेत कुमार गुप्ता, पराक्रम शर्मा, मो. आरिफ, कुनाल राज, मधु अली खान, गीता देवी, अमर यादव, मनोज रजक, रंजीत साह, हेमंत स्वर्णकार, शानू हांसदा, पियूष कुमार, जू साहब, निप्पू अंसारी, राजेश चौरसिया, शिवम केशरी, बुबु सेन समेत सैकड़ों झामुमो कार्यकर्ता मौजूद थे।

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